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किडनी का कार्य और उसकी प्रक्रिया

किडनियां हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। ये न केवल शरीर के आंतरिक संतुलन को बनाए रखती हैं, बल्कि रक्त को फ़िल्टर करने, अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने, हार्मोन का उत्पादन करने, और शरीर के तरल संतुलन को नियंत्रित करने जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। हालांकि किडनियों का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है, लेकिन उनकी कार्यक्षमता और भूमिका मानव शरीर में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

किडनी का संरचनात्मक

HOW KIDNEYS WORK किडनियां दो बीन्स के आकार के अंग होते हैं, जो मानव शरीर में प्रत्येक किडनी के लिए लगभग 10-12 सेंटीमीटर लंबाई और 5-7 सेंटीमीटर चौड़ाई में होती हैं। ये अंग हमारे शरीर के पीछे, रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ, पसलियों के ठीक नीचे स्थित होती हैं। किडनियां रक्त को फ़िल्टर करने के मुख्य अंग हैं, और प्रत्येक किडनी में लाखों नेफ्रॉन होते हैं, जो रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर करते हैं। किडनियों के भीतर एक बारीकी से जुड़ी संरचना होती है, जिसमें ग्लोमेरुलस (फ़िल्टरिंग केयरियर) और ट्यूब्यूल (जिसमें पुनः अवशोषण होता है) शामिल होते हैं।

किडनी का कार्य

किडनियों का मुख्य कार्य रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर करना है, लेकिन ये कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी करती हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं

1.  रक्त फ़िल्टर करनाऔरअपशिष्टकोबाहरनिकालनकिडनियों का सबसे प्रमुख कार्य रक्त को फ़िल्टर करना है। प्रत्येक किडनी में लगभग 1 मिलियन नेफ्रॉन होते हैं, जो रक्त को फ़िल्टर करने का कार्य करते हैं। जब रक्त किडनी में प्रवेश करता है, तो यह ग्लोमेरुलस (किडनी के फिल्टर) से गुजरता है, जो रक्त से अपशिष्ट, पानी, और अत्यधिक आयनों को अलग करता है। इस प्रक्रिया में, रक्त से हानिकारक पदार्थ जैसे यूरिया, क्रिएटिनिन, और अन्य अपशिष्ट निकालकर मूत्र के रूप में शरीर से बाहर भेज दिए जाते हैं। ग्लोमेरुलस से फ़िल्टर होकर रक्त का बाकी हिस्सा ट्यूब्यूल में प्रवेश करता है, जहां पानी, ग्लूकोज, आयन, और अन्य जरूरी पदार्थों का पुनः अवशोषण होता है। इससे शरीर को आवश्यक तत्व पुनः प्राप्त होते हैं, जबकि अपशिष्ट और अतिरिक्त तत्व मूत्र के रूप में बाहर निकल जाते हैं। यह फ़िल्टरिंग प्रक्रिया किडनी के कार्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

3 पानी और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखना:

किडनियां शरीर के तरल और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होती हैं। जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो किडनियां अधिक पानी को अवशोषित करती हैं और मूत्र का उत्पादन कम करती हैं। इसके विपरीत, जब शरीर में पानी की अधिकता होती है, तो किडनियां अतिरिक्त पानी को मूत्र के रूप में बाहर निकाल देती हैं। इसी तरह, किडनियां सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को नियंत्रित करती हैं, जिससे शरीर का संतुलन बनाए रखा जाता है।.  

हार्मोन उत्पादन और रक्तचाप का नियंत्रण:  किडनियां कई महत्वपूर्ण हार्मोन का उत्पादन करती हैं जो शरीर की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करते हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन एरिथ्रोपॉयटिन है, जो रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार है। जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है, किडनियां एरिथ्रोपॉयटिन का उत्पादन बढ़ाती हैं, जिससे हड्डी मज्जा को लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए उत्तेजना मिलती है।

विटामिन D का सक्रिय रूप बनाना: किडनियां शरीर में विटामिन D के सक्रिय रूप को बनाने का कार्य करती हैं, जो कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। कैल्शियम हड्डियों के निर्माण और उनके मजबूती के लिए आवश्यक है। जब शरीर में विटामिन D का सक्रिय रूप होता है, 

पश्चिमी चिकित्सा और औषधियों का उन्मूलन:  किडनियां हमारे शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में भी मदद करती हैं। कई दवाओं, रसायनों और अन्य विषैले पदार्थों को किडनियां फ़िल्टर करती हैं और इन्हें मूत्र के रूप में बाहर भेज देती हैं। यह शरीर को उन हानिकारक पदार्थों से मुक्त करता है जो लंबे समय तक शरीर में जमा होने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

पोषक तत्वों का पुनः अवशोषण:किडनियां भोजन से प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों जैसे पानी, ग्लूकोज, अमीनो एसिड्स, और आयनों का पुनः अवशोषण करती हैं। यह सुनिश्चित करती हैं कि शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी न हो, और साथ ही रक्त में किसी भी प्रकार के हानिकारक तत्वों का स्तर संतुलित रहता है।

pH संतुलन बनाए रखना

किडनियां रक्त के pH संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। रक्त का pH सामान्यतः 7.35 से 7.45 के बीच होना चाहिए। यदि pH का स्तर असंतुलित हो जाता है, तो यह शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है। किडनियां रक्त से अतिरिक्त अम्ल (हाइड्रोजन आयन) को बाहर निकालती हैं और बाइकार्बोनेट (एक क्षारीय पदार्थ) को पुनः अवशोषित करती हैं, जिससे रक्त का pH संतुलित रहता है।

मूत्र निर्माण और उत्सर्जन

किडनियों द्वारा फ़िल्टर किए गए पदार्थ मूत्र के रूप में बाहर निकलते हैं। मूत्र का निर्माण नेफ्रॉन में होता है और फिर यह किडनी के पेल्विस से होकर मूत्रवाहिनियों (Ureters) से गुजरता है। इसके बाद, मूत्र ब्लैडर में इकट्ठा होता है, जहाँ यह संग्रहित होता है। जब मूत्र एक निश्चित मात्रा तक इकट्ठा हो जाता है, तो यह शरीर से बाहर निकालने के लिए उत्सर्जित किया जाता है। मूत्र में मुख्य रूप से अपशिष्ट पदार्थ होते हैं जैसे यूरिया, क्रिएटिनिन, अतिरिक्त लवण और पानी, जिन्हें किडनियां फ़िल्टर करती हैं। किडनियों की यह क्षमता पानी और अपशिष्ट पदार्थों को अलग करने की अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जिससे शरीर का आंतरिक संतुलन बनाए रखा जाता है।

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