क्या आप जानते हैं कि हमारे रक्त में कुछ ऐसे नन्हे कण मौजूद होते हैं जो हमारी जान बचाने का काम करते हैं? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं प्लेटलेट्स (Platelets) की, जिन्हें थ्रोम्बोसाइट्स (Thrombocytes) भी कहा जाता है। ये छोटे-छोटे, रंगहीन रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं खून का थक्का जमाने की। जब हमें चोट लगती है और रक्तस्राव होता है, तो यही प्लेटलेट्स मिलकर उस जगह को सील करते हैं, जिससे अत्यधिक खून बहने से रोका जा सके।लेकिन क्या होगा अगर इन प्लेटलेट्स की संख्या कम या ज्यादा हो जाए? इसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ सकता है। इसीलिए, यह जानना बेहद ज़रूरी है कि सामान्य प्लेटलेट काउंट कितना होना चाहिए, और इसकी असामान्य मात्रा के क्या मायने हो सकते हैं।
प्लेटलेट्स क्या हैं और क्यों हैं ये इतने ज़रूरी
प्लेटलेट्स, हमारी अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में बनने वाली छोटी, अनियमित आकार की कोशिकाएं होती हैं। इनका मुख्य काम रक्तस्राव को रोकना है। जब कोई रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त होती है, तो प्लेटलेट्स उस चोट वाली जगह पर चिपक जाते हैं और एक साथ जुड़कर एक “प्लेटलेट प्लग” बनाते हैं। यह प्लग रक्तस्राव को धीमा करता है और अंततः रोक देता है। इसके साथ ही, वे उन कारकों को भी सक्रिय करते हैं जो रक्त का थक्का (Blood Clot) बनाने में मदद करते हैं, जिससे घाव भर सके।संक्षेप में, प्लेटलेट्स के बिना, हमें मामूली चोट लगने पर भी अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
सामान्य प्लेटलेट काउंट कितना होना चाहिए
प्लेटलेट्स,हमारी अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में बनने वाली छोटी, अनियमित आकार की कोशिकाएं होती हैं। इनका मुख्य काम रक्तस्राव को रोकना है। जब कोई रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त होती है, तो प्लेटलेट्स उस चोट वाली जगह पर चिपक जाते हैं और एक साथ जुड़कर एक “प्लेटलेट प्लग” बनाते हैं। यह प्लग रक्तस्राव को धीमा करता है और अंततः रोक देता है। इसके साथ ही, वे उन कारकों को भी सक्रिय करते हैं जो रक्त का थक्का (Blood Clot) बनाने में मदद करते हैं, जिससे घाव भर सके।संक्षेप में, प्लेटलेट्स के बिना, हमें मामूली चोट लगने पर भी अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
प्लेटलेट काउंट का कम होना: थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia
जब प्लेटलेट काउंट 150,000 प्रति माइक्रोलीटर से कम हो जाता है, तो इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (Thrombocytopenia) कहा जाता है। हल्के थ्रोम्बोसाइटोपेनिया में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जब संख्या बहुत कम हो जाती है, तो यह गंभीर रक्तस्राव का खतरा पैदा कर सकता है।
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कारण:
- प्लेटलेट उत्पादन में कमी (Decreased Platelet Production):
- अस्थि मज्जा रोग (Bone Marrow Disorders): ल्यूकेमिया (Leukemia), अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia), मायलोइडिसप्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic Syndrome), या कुछ कैंसर जो अस्थि मज्जा में फैल जाते हैं।
- वायरल संक्रमण (Viral Infections): डेंगू (Dengue), चिकनगुनिया (Chikungunya), हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C), HIV, खसरा (Measles), मम्प्स (Mumps)।
- कुछ दवाएं (Certain Medications): कीमोथेरेपी दवाएं, कुछ एंटीबायोटिक्स (जैसे क्लोरैम्फेनिकॉल), हेपरिन (Heparin), और कुछ दर्द निवारक दवाएं।
- पोषक तत्वों की कमी (Nutritional Deficiencies): विटामिन बी12 (Vitamin B12) या फोलेट (Folate) की गंभीर कमी।
- शराब का अत्यधिक सेवन (Excessive Alcohol Consumption): शराब अस्थि मज्जा के उत्पादन को बाधित कर सकती है।
प्लेटलेट के विनाश में वृद्धि (Increased Platelet Destruction):
- इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (Immune Thrombocytopenic Purpura – ITP): एक ऑटोइम्यून स्थिति जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही प्लेटलेट्स को नष्ट कर देती है।
- थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (Thrombotic Thrombocytopenic Purpura – TTP): एक दुर्लभ लेकिन गंभीर विकार जिसमें पूरे शरीर में छोटे रक्त के थक्के बनते हैं, जो प्लेटलेट्स का उपभोग करते हैं।
- हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम (Hemolytic Uremic Syndrome – HUS): आमतौर पर E. coli जैसे बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है, जिससे गुर्दे की विफलता और प्लेटलेट विनाश होता है।
- सेप्सिस (Sepsis): रक्तप्रवाह में एक गंभीर संक्रमण, जो व्यापक रक्त के थक्के और प्लेटलेट विनाश का कारण बन सकता है।
- विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना (Exposure to Toxins): कुछ रसायन या भारी धातुएं।
प्लेटलेट का प्लीहा में जमा होना (Platelet Sequestration in Spleen):
प्लीहा (Spleen) एक अंग है जो पुरानी या क्षतिग्रस्त रक्त कोशिकाओं को फ़िल्टर करता है। यदि प्लीहा बढ़ जाती है (जैसे कि लिवर रोग में), तो यह बहुत अधिक प्लेटलेट्स को अपने अंदर रोक सकती है, जिससे रक्त में उनकी संख्या कम दिखाई देती है।
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण:
कम प्लेटलेट काउंट के लक्षणों में शामिल हैं:
• आसानी से चोट लगना (Easy Bruising)
• त्वचा पर छोटे लाल या बैंगनी रंग के धब्बे (पेटेकिया – Petechiae) या बड़े बैंगनी धब्बे (पुरपुरा – Purpura)
• नाक से खून बहना (Nosebleeds)
• मसूड़ों से खून आना (Bleeding Gums)
• मूत्र या मल में रक्त (Blood in Urine or Stool)
• महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव (Heavy Menstrual Bleeding)
• थकान (Fatigue)
• कभी-कभी गंभीर मामलों में आंतरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding)
प्लेटलेट काउंट का ज़्यादा होना: थ्रोम्बोसाइटोसिस (Thrombocytosis)
- जब प्लेटलेट काउंट 450,000 प्रति माइक्रोलीटर से अधिक हो जाता है, तो इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोसिस (Thrombocytosis) कहा जाता है। यह स्थिति दो प्रकार की हो सकती है:
- प्राइमरी थ्रोम्बोसाइटोसिस (Primary Thrombocytosis) या एसेंशियल थ्रोम्बोसिथेमिया (Essential Thrombocythemia): यह एक अस्थि मज्जा विकार है जिसमें अस्थि मज्जा असामान्य रूप से बहुत अधिक प्लेटलेट्स बनाती है। यह अक्सर कैंसर रहित होता है, लेकिन रक्त के थक्के या रक्तस्राव का खतरा बढ़ा सकता है।
- सेकेंडरी थ्रोम्बोसाइटोसिस (Secondary Thrombocytosis) या रिएक्टिव थ्रोम्बोसाइटोसिस (Reactive Thrombocytosis): यह अधिक सामान्य प्रकार है, और यह किसी अन्य अंतर्निहित स्थिति या बीमारी के कारण होता है। इस स्थिति में, शरीर एक प्रतिक्रिया के रूप में अधिक प्लेटलेट्स बनाता है।
- थ्रोम्बोसाइटोसिस के कारण:
- संक्रमण (Infections): बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण (जैसे निमोनिया, मूत्र पथ संक्रमण)।
- सूजन संबंधी स्थितियां (Inflammatory Conditions): क्रोहन रोग (Crohn’s Disease), अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis), रुमेटीइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis), सूजन आंत्र रोग।
- चोट या सर्जरी (Trauma or Surgery): विशेष रूप से बड़ी सर्जरी या गंभीर चोट के बाद।
- आयरन की कमी से एनीमिया (Iron Deficiency Anemia): शरीर में आयरन की कमी होने पर प्लेटलेट उत्पादन बढ़ सकता है।
- कुछ कैंसर (Certain Cancers): फेफड़ों का कैंसर, कोलोन कैंसर, स्तन कैंसर, लिम्फोमा।
- प्लीहा हटाना (Splenectomy): प्लीहा हटाए जाने के बाद, शरीर में प्लेटलेट्स का विनाश कम हो जाता है, जिससे उनकी संख्या बढ़ जाती है।
- तीव्र रक्तस्राव (Acute Bleeding): किसी चोट या सर्जरी के बाद, शरीर रक्त की हानि की भरपाई के लिए अधिक प्लेटलेट्स बना सकता है।
थ्रोम्बोसाइटोसिस के लक्षण:
हल्के थ्रोम्बोसाइटोसिस में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि, उच्च प्लेटलेट काउंट से रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ सकता है, जिससे निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
• सिरदर्द (Headaches)
• चक्कर आना (Dizziness)
• सीने में दर्द (Chest Pain)
• कमजोरी (Weakness)
• हाथों या पैरों में सुन्नता या झुनझुनी (Numbness or Tingling in Hands or Feet)
• स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने का खतरा (Increased risk of Stroke or Heart Attack)
• कभी-कभी असामान्य रक्तस्राव (जैसे नाक से खून या मसूड़ों से खून) भी हो सकता है, क्योंकि असामान्य रूप से उच्च संख्या में प्लेटलेट्स ठीक से काम नहीं कर पाते हैं।
प्लेटलेट काउंट की जांच कैसे होती है
प्लेटलेट काउंट को स्वस्थ सीमा में बनाए रखने के लिए कुछ सामान्य सुझाव:
- स्वस्थ और संतुलित आहार (Healthy and Balanced Diet):
- विटामिन बी12 और फोलेट युक्त खाद्य पदार्थ: अंडे, मांस, डेयरी उत्पाद, पत्तेदार सब्जियां, दालें।
- विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ: खट्टे फल, स्ट्रॉबेरी, शिमला मिर्च, टमाटर।
- विटामिन के युक्त खाद्य पदार्थ: पत्तेदार हरी सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकोली।
- आयरन युक्त खाद्य पदार्थ: लाल मांस, बीन्स, दाल, पालक, सूखे मेवे।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड: मछली, अखरोट, अलसी।
- पर्याप्त हाइड्रेशन (Adequate Hydration): पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से रक्त प्रवाह बेहतर रहता है।
- नियमित व्यायाम (Regular Exercise): शारीरिक गतिविधि समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है, जो प्लेटलेट उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
- शराब और धूम्रपान से बचें (Avoid Alcohol and Smoking): ये दोनों आदतें अस्थि मज्जा के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
- तनाव प्रबंधन (Stress Management): अत्यधिक तनाव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और रक्त उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
- नियमित स्वास्थ्य जांच (Regular Health Check-ups): खासकर यदि आपको कोई पुरानी बीमारी है या आप कुछ दवाएं ले रहे हैं, तो नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलें और अपनी रक्त जांच करवाएं।
- चिकित्सा सलाह का पालन करें (Follow Medical Advice): यदि आपको प्लेटलेट की समस्या का निदान हुआ है, तो अपने डॉक्टर द्वारा बताई गई उपचार योजना और दवाओं का सख्ती से पालन करें।
प्लेटलेट्स बढ़ाने के घरेलू उपाय
पपीते के पत्ते का रस
प्लेटलेट्स बढ़ाने में सबसे लोकप्रिय घरेलू उपाय। पपीते के पत्तों को पीसकर उसका रस निकालें और दिन में दो बार पिएं।खासकर डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में। नीचे हम इसके फायदे, उपयोग की विधि, और कुछ जरूरी सावधानियों के बारे में बता रहे हैं:पपीते के पत्तों में पपेन (Papain) और कैरपेन (Carpaine) नामक एंजाइम होते हैं, जो प्लेटलेट्स के उत्पादन को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने में सहायक होते हैं।यह लिवर को डिटॉक्स करता है और जिगर से जुड़ी कई समस्याओं में राहत देता है।डेंगू के दौरान गिरते प्लेटलेट्स को स्थिर करने में यह खासा असर दिखाता है।पीते के पत्तों का रस एक सस्ता, प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है जो प्लेटलेट काउंट को सुधारने में मदद करता है। हालांकि, इसका सेवन सही मात्रा में और सही तरीके से किया जाए तो यह शरीर को जल्दी रिकवर करने में मदद करता है।
गिलोय का रस
गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है जो इम्युनिटी को बढ़ाकर प्लेटलेट्स की संख्या में सुधार करती है। गिलोय (Tinospora Cordifolia), जिसे हिंदी में गुडुची भी कहा जाता है, आयुर्वेद में एक अत्यंत प्रभावशाली और बहुगुणी औषधि के रूप में जानी जाती है। इसका रस शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में भी बेहद उपयोगी माना गया है।गिलोय शरीर में वायरस से लड़ने की ताकत को बढ़ाता है, जिससे प्लेटलेट्स गिरने की दर कम होती है और उनका निर्माण तेज़ होता गिलोय का रस बुखार कम करने में उपयोगी होता है, खासकर डेंगू और मलेरिया में, जहाँ प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरते हैं।है।गिलोय का रस लिवर को डिटॉक्स करता है और पाचन तंत्र को सुधारता है, जिससे शरीर पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित कर पाता है।
अनार और चुकंदर का रस
ये दोनों फल आयरन से भरपूर होते हैं, जो प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक हैं।जब बात आती है खून की कमी और प्लेटलेट्स बढ़ाने की, तो अनार (Pomegranate) और चुकंदर (Beetroot) दोनों ही सुपरफूड की तरह काम करते हैं। इन दोनों का रस मिलाकर पीना एक शक्तिशाली नैचुरल टॉनिक बनाता है, जो शरीर को मजबूती, ऊर्जा और रोगों से लड़ने की क्षमता देता है।अनार में आयरन, फोलेट, विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करते हैं।चुकंदर आयरन और नाइट्रेट्स से भरपूर होता है जो नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देता है।यह रस शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाता है और खून की गुणवत्ता में सुधार करता है।प्लेटलेट्स के गिरने के बाद थकावट और कमजोरी होती है, जिसे यह रस दूर करता है
कीवी और पपीता
इन फलों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन C प्लेटलेट उत्पादन में मदद करते हैं। कीवी और पपीता दोनों ही फल ना केवल स्वाद में बेहतरीन हैं, बल्कि इनकी पोषण शक्ति भी जबरदस्त होती है। खासकर जब शरीर में प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं — जैसे डेंगू, वायरल फीवर या कमजोरी के समय — तो कीवी और पपीता का सेवन शरीर को जल्दी रिकवर करने में मदद करता है।यह रस शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाता है और खून की गुणवत्ता में सुधार करता है।प्लेटलेट्स के गिरने के बाद थकावट और कमजोरी होती है, जिसे यह रस दूर करता है। अनार में आयरन, फोलेट, विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करते हैं।चुकंदर आयरन और नाइट्रेट्स से भरपूर होता है जो नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देता है।
नारियल पानी और तुलसी के पत्ते
ये शरीर को हाइड्रेट रखते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।जब शरीर थक चुका हो, प्लेटलेट्स गिर रहे हों या वायरल बुखार ने जकड़ लिया हो तो नारियल पानी और तुलसी के पत्ते का संयोजन एक प्राकृतिक और शक्तिशाली उपाय बन जाता है। यह न केवल शरीर को हाइड्रेट करता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।तुलसी के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और इम्युनोमॉड्यूलेटरी गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाकर प्लेटलेट्स को गिरने से रोकते हैं। नारियल पानी शरीर को इलेक्ट्रोलाइट्स और प्राकृतिक मिनरल्स देकर रिकवरी तेज करता है।तुलसी वायरस को खत्म करने में मदद करती है और बुखार को नियंत्रित करती है। नारियल पानी प्लेटलेट्स के निर्माण में मदद करता है और शरीर को जल्दी उर्जा देता है।
निष्कर्ष
प्लेटलेट्स हमारे शरीर के छोटे लेकिन बेहद महत्वपूर्ण घटक हैं। उनका सही संतुलन हमारी समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। प्लेटलेट काउंट का कम या ज्यादा होना कई अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है, और इसलिए, इन स्थितियों को गंभीरता से लेना महत्वपूर्ण है।
यदि आपको अपने प्लेटलेट काउंट के बारे में कोई चिंता है या आप असामान्य लक्षण अनुभव करते हैं, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें। वे आपकी स्थिति का सही निदान कर सकते हैं और उचित उपचार या प्रबंधन योजना सुझा सकते हैं। याद रखें, “सेहत का ये जरूरी राज” जानकर आप एक स्वस्थ और सुरक्षित जीवन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सकते हैं। अपनी रक्त रिपोर्ट को समझें,अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें, और अपनी सेहत को हमेशा प्राथमिकता दें
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