शरीर में किसी वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी के कारण पेट और आंतों में सूजन या संक्रमण हो जाता है, जिसे आमतौर पर “पेट में संक्रमण” कहा जाता है। यह समस्या बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों सभी में देखी जा सकती है।पेट के संक्रमण को मेडिकल भाषा में गैस्ट्रोएन्ट्राइटिस (Gastroenteritis) कहते हैं, जो वायरस, बैक्टीरिया या परजीवियों के कारण होता है। इसका असर पाचन तंत्र पर पड़ता है और यह दस्त, उल्टी, बुखार, पेट दर्द जैसी समस्याएं पैदा करता है। इसके कारण क्या हैं और इलाज के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
पेट में संक्रमण के लक्षण (Symptoms of Stomach Infection)
पेट का संक्रमण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरीके से असर डालता है, लेकिन इसके कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जिन्हें समझना जरूरी है शरीर में किसी वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी के कारण पेट और आंतों में सूजन या संक्रमण हो जाता है, जिसे आमतौर पर “पेट में संक्रमण” कहा जाता है। यह समस्या बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों सभी में देखी जा सकती है।
1.पेट दर्द और ऐंठन (Stomach Pain and Cramps)
पेट के निचले हिस्से में हल्के से लेकर तीव्र दर्द तक महसूस हो सकता है। ये ऐंठन पाचन तंत्र की सूजन और गैस बनने के कारण होती हैं। संक्रमण के कारण आंतों में सूजन आ जाती है, जिससे मरोड़ और ऐंठन महसूस होती है। यह दर्द तेज़ या हल्का हो सकता है, और अकसर खाने के बाद बढ़ जाता है।
2. दस्त (Diarrhea)
एक सामान्य लेकिन कष्टदायक पाचन समस्या है जिसमें बार-बार पतला, तरल या पानी जैसा मल आता है। यह शरीर में पानी और लवण की कमी (डिहाइड्रेशन) का कारण बन सकता है और समय पर इलाज न हो तो गंभीर रूप भी ले सकता है।
3. उल्टी और मतली (Vomiting and Nausea)
संक्रमण के दौरान शरीर खराब पदार्थों को बाहर निकालने की कोशिश करता है, जिससे उल्टी और मिचली होना आम बात है। पाचन तंत्र से जुड़ी आम समस्याएं हैं जो कई कारणों से हो सकती हैं। ये किसी बीमारी के लक्षण हो सकते हैं या फिर अस्थायी असहजता भी हो सकती है। दोनों एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं—मतली (जी मिचलाना) अक्सर उल्टी आने से पहले होती है। आधे नींबू का रस, थोड़ा नमक और शहद मिलाकर पीने से जी मिचलाना रुकता है। सौंफ को चबाना या सौंफ का पानी पीना पाचन क्रिया को शांत करता है।
4. बुखार (Fever)
संक्रमण की प्रतिक्रिया में शरीर का तापमान बढ़ सकता है। आमतौर पर यह हल्का होता है, लेकिन बैक्टीरियल संक्रमण में तेज़ बुखार भी हो सकता है। शरीर का एक सामान्य रक्षात्मक प्रतिक्रिया (defensive response) है, जो शरीर में संक्रमण या बीमारी का संकेत देता है। जब शरीर किसी संक्रमण से लड़ता है, तो तापमान बढ़ जाता है, जिसे हम बुखार कहते हैं। यह खुद कोई बीमारी नहीं है, बल्कि किसी अंदरूनी समस्या का लक्षण है।
5. भूख में कमी (Loss of Appetite)
पेट में संक्रमण (Stomach Infection / Gastroenteritis) का एक सामान्य और महत्वपूर्ण लक्षण है। जब पेट या आंतों में संक्रमण होता है, तो पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता, जिससे भूख लगना बंद हो जाती है या बहुत कम हो जाती है। संक्रमण के कारण आंतों की दीवारों में सूजन आ जाती है, जिससे पाचन क्रिया धीमी हो जाती है और भूख मर जाती है। जब पेट में मरोड़, मतली या उल्टी हो रही होती है, तो व्यक्ति खाने से परहेज करता है। बुखार के कारण शरीर की ऊर्जा संक्रमण से लड़ने में लगती है और खाने की इच्छा नहीं होती। लगातार दस्त और उल्टी के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे कमजोरी और भूख की कमी होती है।
6. कमजोरी और थकान(Weakness And Fatigue)
लगातार उल्टी-दस्त के कारण शरीर में एनर्जी की कमी हो जाती है, जिससे थकावट महसूस होती है।
जब शरीर में ऊर्जा की कमी होती है, मांसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं और व्यक्ति को सामान्य कार्य करने में भी कठिनाई महसूस होती है जब थोड़ी मेहनत या बिना काम किए भी शरीर थका-थका सा महसूस हो, लगातार नींद या आराम की इच्छा हो। शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम) निकल जाते हैं, जिससे थकावट होती है। जब खाना ठीक से नहीं खाया जाता, तो शरीर को जरूरी पोषण नहीं मिलता और कमजोरी आती है। शरीर का इम्यून सिस्टम जब इन्फेक्शन से लड़ रहा होता है, तो शरीर की ऊर्जा उसी में खर्च होती है।
7. शरीर में पानी की कमी (Dehydration)
जब शरीर से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ निकल जाता है (जैसे – पसीना, उल्टी, दस्त, या पेशाब के जरिए), और उसकी भरपाई नहीं होती, तो शरीर में जल की कमी हो जाती है। यह डिहाइड्रेशन कहलाता है।
शरीर में नमक, चीनी और पानी का संतुलन बनाए रखता है। इसे हर दस्त या उल्टी के बाद पीना चाहिए।
डिहाइड्रेशन पेट संक्रमण का सबसे बड़ा खतरा है। इसके संकेत हैं:
• मुंह और होंठ सूख जाना
• चक्कर आना
• पेशाब का रंग गहरा होना
• बच्चों में रोते समय आँसू न आना
पेट के संक्रमण के कारण (Causes of Stomach Infection)
पेट में संक्रमण होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. वायरस
- नोरोवायरस (Norovirus) और रोटावायरस (Rotavirus) जैसे वायरस प्रमुख कारण होते हैं।
- यह आमतौर पर दूषित पानी, संक्रमित भोजन या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से फैलते हैं।
2. बैक्टीरिया
• ई. कोलाई (E. coli), सैल्मोनेला (Salmonella), शिगेला (Shigella) आदि बैक्टीरिया फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं।
• यह बैक्टीरिया अधपके मांस, गंदे पानी या खुले में बिकने वाले भोजन से शरीर में प्रवेश करते हैं।
3. परजीवी (Parasites)
• जियार्डिया (Giardia) और एंटामीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba Histolytica) जैसे परजीवी भी आंतों में संक्रमण फैला सकते हैं।
• ये आमतौर पर दूषित पानी से फैलते हैं।
4. खराब स्वच्छता
• बिना हाथ धोए खाना खाना
• खुले में बिकने वाला खाना
• शौच के बाद हाथ न धोना
5. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है (जैसे बच्चे, बुजुर्ग या डायबिटीज़/एचआईवी रोगी), वे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।
पेट के संक्रमण का इलाज (Treatment of Stomach Infection)
घरेलू उपचार (Home Remedies)
अगर संक्रमण हल्का है, तो घरेलू उपचार से राहत मिल सकती है:
• ओआरएस (ORS) का सेवन करें
डिहाइड्रेशन से बचने के लिए ओआरएस (ORS) घोल का बार-बार सेवन करें।
• नारियल पानी और नींबू पानी
ये शरीर को आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स प्रदान करते हैं।
• दही और छाछ
प्रोबायोटिक्स से भरपूर होने के कारण दही आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाता है और पाचन में सुधार करता है।
• अदरक और पुदीना की चाय
ये पेट को शांत करती हैं और मतली में राहत देती हैं।
• खिचड़ी और सादा भोजन
भारी और मसालेदार खाना टालें। हल्की खिचड़ी, उबले आलू, और सूप आदि ही लें।
संक्रमण से कैसे बचें? (Prevention Tips)
पेट संक्रमण से बचाव इलाज से बेहतर है। नीचे दिए गए सुझावों को अपनाकर आप संक्रमण से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं:
1.स्वच्छता का पालन करें
• हर बार खाना खाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ धोएं।
• बच्चों को भी साफ-सफाई की आदत डालें।
2. शुद्ध पानी पिएं
• केवल उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं।
• बाहर जाते समय पानी की बोतल साथ रखें।
3. साफ–सुथरा और पकाया हुआ भोजन खाएं
अधपका मांस या अंडा खाने से बचें।
खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बनाए रखें।
4. फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर खाएं
बाजार से लाए फल और सब्जियों को नमक या सिरके के पानी से धोएं
5. रोगी व्यक्ति से दूरी बनाए रखें
संक्रमित व्यक्ति के बर्तन, तौलिए आदि अलग रखें।
बच्चों में पेट संक्रमण
• बच्चों को उबला पानी पिलाएं।
• घर का बना हल्का भोजन दें।
• ओआरएस देना न भूलें।
• बुखार या सुस्ती दिखे तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
पेट का संक्रमण एक आम समस्या है, लेकिन यदि इसे समय पर पहचाना और सही ढंग से इलाज किया जाए, तो यह गंभीर रूप नहीं लेता। लक्षणों को नजरअंदाज न करें और स्वच्छता व खानपान में सावधानी बरतें। घरेलू उपचार तभी करें जब लक्षण हल्के हों। यदि स्थिति बिगड़ती नजर आए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
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